भाषा मनुष्य की भाव अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है,क्योंकि मनुष्य अपने विचारों और भावों के विचार विनिमय में भाषा से ही करता है। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, मैं जिस समाज में रहता है, जिस परिवार में उसका पालन पोषण होता है, उसी परिवार की परिभाषा भी सीखता है।
भाषा सीखने में माता-पिता की भाषा का अधिक प्रभाव रहता है। वस्तुतः माता-पिता से सीखी गई भाषा मातृभाषा होती। बालक मातृभाषा से आगे बढ़कर क्षेत्रीय बोली सीखता है। उसके बाद उपभाषा सीखता है। तब कहीं उपभाषा का बड़ा रूप भाषा सीखता है।
यह भाषा फिर अनेक रूप रचनात्मक भाषा, राजभाषा, राष्ट्रभाषा, संचार भाषा, साहित्यिक भाषा में हमारे सामने आती है।
हिंदी भाषा के प्रमुख विविध
1. बोली - जनसामान्य में स्थानीय व्यवहार में बोली प्रस्तुत होती है इसके लिए किसी शिक्षण और प्रशिक्षण की जरूरत नहीं होती।
2. उपबोली - बोली की अपेक्षा और भी सीमित क्षेत्र में होने वाली बोलचाल की भाषा को बोली है।
3. भाषा - किसी भी देश में किसी जन समूह का महत्व बढ़ जाता है तो उसकी बोलचाल की बोली भाषा कहलाती है।
4. रचनात्मक भाषा - इसी सृजनात्मक भाषा भी कहते हैं जिस भाषा में साहित्य की रचना प्रचुर मात्रा में होने लगती है वह रचनात्मक भाषा कहलाती है।
5. राजभाषा - किसी राज्य के सरकारी कामकाज में जिस भाषा का प्रयोग होता है वह राज्य भाषा कहलाती है।
6. राष्ट्रभाषा - यह वह भाषा है जिसका व्यवहार किसी राष्ट्र के अधिकांश जन करते हैं।
0 टिप्पणियाँ